तक़रीबन 1 महीने से सब कुछ डिस्टर्ब चल रहा है । पहले एक साथी हमेशा के लिए चले गए उसके बाद वक़्त की कमी के चलते ज्यादा सक्रिय नहीं रह पाया । आज वक़्त मिला तो सोशल मीडिया पर काफी वक़्त बिताया ।
काफी तलाश कारने के बाद मजबूरन इस नतीजे पर पहुच पा रहा हूँ की ज्यादातर लोगो की लड़ाई अन्याय के खिलाफ न होकर फॅमिली ब्रेकिंग पर फोकस हो गयी है ।
कारन बहुत हो सकते है पर सैयद ऐसा कोई भी कारन नहीं हो सकता जो फेमिली को बचाना इतना जरूरी हो गया की अपने अधिकार को ही छोड़ दिया जाये । क्यों न एक बार यह स्वीकार किया जाये की फॅमिली को बचाना मेरा सिर्फ मेरा काम नहीं है फॅमिली सिस्टम को ब्रेक होने दिया जाये एंड अपने खुद के अधिकारों के लिए लड़ा जाये ।
या तो मेरे पास वह दिमाग नहीं जो इस घपलेबाजी को समाज पाये या सैयद अधिकांश लोगों के लिए अपने अधिकार के महत्व को समजना अभी बाकि है ।
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गुरशरण सिंह
Gursharn76@gmail.com
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