कल दशहरे का पर्व पुरे हिंदुस्तान मैं मनाया गया । अच्छा लगा परंतु पता नहीं क्यों बहुत लोगों के मेसेज आये की 'आज मुश्किल है रावण हो जाना'
सहमत हूँ की रावण महान व्यक्तित्व का स्वामी था । सम्भवतया उसके कुछ कृत्य सीमाओं का उलंघन करते हो परंतु उसने ऐसा कोई काम नहीं किया जो मानवता का सर शर्म से झुका दे ।
आश्चर्य इस बात पर ज्यादा हुआ की आ ज एक साधारण हिंदुस्तानी रावण को बुरा व्यक्ति मानता है तथा सवयं को रावण से भी निचे मानता है ।
शायद इसका कारन वह सवयं नहीं बल्कि समाज तथा कानून द्वारा हर रोज उसे बुरा कहे जाने की वजह से हुई गलानी है । अनयथा हर रोज एक हिंदुस्तानी देश परिवार एंड समाज के लिए कुछ लाभदायक करता हुआ दीखता है ।
- सरहद पर जो मरा जाता है
- सड़क पर आंदोलन कर रहा है
- परिवार के लिए रिक्शा चला रहा है
- बच्चों के लिए खून पसीना भ रहा है
फिर भी खुद को रावण से भी बुरा मानता है क्यों ? यदि वक़्त रहते समाज एंड काननों ने खुद को नहीं बदला तो सैयद यह राम जो हर घर मैं है खिन खो जायेगा हमेशा हमेशा के लिए ।
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Gursharn Singh